आज तेरे सजदे मे

आज तेरे सजदे में मुझे सर को झुकाना है
गिरने नहीं देना अब रुख से पर्दा उठाना है
आज तेरे सजदे.......

लाख रखलो तुम चिल्मनें हम दीदार कर ही लेंगे
लाख कोशिश हो ना चाहो हम प्यार कर ही लेंगे
तुमने वादा किया जो इश्क़ का तुमको निभाना है
आज तेरे सजदे......

बेपरवाही है इश्क़ की यही इनाम मेरा ही
पी लूँ कभी आँखों से इश्क़ का जाम तेरा ही
मुझको तेरे इश्क़ की सज़ा अब देता ज़माना है
आज तेरे सजदे......

दर्द ए उल्फ़त सह लेंगे अब यही तेरी इनायत है
जितना है दर्द सीने में उतनी ही तुझसे मोहबत है
ये अश्क़ और ये आहें ही इश्क़ का नज़राना है
आज तेरे सजदे.......

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