किशोरी कृपा
भरम दूर कीजो लाडली
छोड़ आपको जाऊँ क्यों
एक मान जाये मेरी लाडली
और कोई देव मनाऊँ क्यों
तेरी रहमत की नज़र हो
तो सब मुमकिन हो जाये
जिसे मेरी किशोरी चाहे
वही किशोरी का हो जाये
नेह डोर से बांध लीजो किशोरी
अधमी हूँ पर तिहारो ही
निज चरणन सों दूर ना कीजो
दया दृष्टि से निहारो ही
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