आ जाओ

जाने क्यों ज़िन्दगी मेरी उदास है
क्यों नहीं सिमट रही अनबुझी सी प्यास है

क्यों आग दिल को फिर से जला रही है
उठती हुई सदायें तुझे फिर से बुला रही हैं

एक बार आओ सनम रूह की आवाज़ है
सुन लो सांसों की सरगम दिल का बजा साज़ है

अपनी पनाह में रख लो कैसे हम जी पाएंगे
जख्मों में उलझी जिंदगी कैसे हम सी पाएंगे

तुमने जो दर्द दिए तुम्हीं उनकी दवा हो
मेरे तो सब हो तुम्हीं मेरे खुदा हो

बरस जाओ बारिशों से इस आग को बुझा दो
या जल खाक ही बन जाऊं ऐसी मुझे दुआ दो

तेरे बिना जीना मुझे नश्तर चुभो रहा है
इश्क़ तेरे का अफ़साना मेरा दामन भिगो रहा है

आ जाओ यार मेरे दूरी सही ना जाए
हालत है अब कुछ ऐसी तुमबिन रहा ना जाए

मिल जाओ यार प्यारे अब तेरी ही प्यास है
तेरे बगैर ज़िन्दगी साहिब मेरी उदास है

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