मोहबत मेरी

तेरा दीदार हो नाम हो तेरा
बस यही है एक हसरत मेरी

तुम कहां देखते हो गुनाह मेरी
बेवजह चाहना ही है आदत तेरी

रख लो कदमों में ही कुछ जगह दे दो
हम यूँ ही जी लेंगे मोहबत तेरी

बस नज़र के सामने ही रखना मुझको
अब कोई भी होगी शिकायत तेरी

तेरा इश्क़ ही इनायत तेरी
हम तो हो गए साहिब अमानत तेरी

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