शबरी की प्रतीक्षा

प्रतीक्षा

प्रेम पथ पर
प्रतीक्षा हो
तो शबरी सी
गुरुवर ये बोल गए
आएंगे तेरे राम
शबरी ने किया जीवन
सब अर्पण राम के नाम
प्रभु भक्तवत्सल हैं
गए जब वन में
पूछ रहे थे पता
शबरी की कुटिया का

शबरी की नित्य प्रतीक्षा
नित्य मार्ग बुहारती
नित्य पुष्प लाती
मार्ग में बिछाती
मेरे राम आएंगे
मेरे प्रभु आएंगे
कोई कंटक ना हो मार्ग में
ऐसी प्रतीक्षा
वर्षों की

आये प्रभु
मिले शबरी से
जल से नहीं
अश्रुओं से चरण पखारे
बह गए अश्रु नैनों से

प्रभु आएं हैं
मेरे राम आएं हैं
बेर खिलाती हूँ
स्वयम् खा रही
मीठे मीठे बेर प्रभु को दे रही
खट्टे एक और
प्रभु खा रहे

लक्ष्मण बोले
रुकिए
ये क्या
आप जूठे बेर
आरोग रहे

प्रभु बोले
ये जूठे नहीं
महाप्रसाद है
मेरे भक्त का प्रेम है इसमें

धन्य हो प्रभु
धन्य है आपका प्रेम

ऐसी ही प्रतीक्षा रहे
प्रभु आपके आने की
नित्य नित्य मन को बुहारें
मेरे प्रभु आएंगे
हाँ आएंगे
उनकी प्रतीक्षा ही
मेरा तप है

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