कभी दिल में कभी तड़प में
तुम हो
हाँ तुम हो
महसूस किया मैंने
बाहर नहीं कहीँ
भीतर ही हो
सुनी तुम्हारी आवाज़
जो नाम पुकारा तुमनेँ
तुम हो
हाँ तुम हो
कभी भूल गयी
तो रोने लगी
कहाँ हो तुम ?
कहाँ गए ?
नहीं मिले मुझे !
कहाँ हो तुम ?
तो तुम्हीं बोले
पहले तेरे दिल में था
अब तेरी पुकार में आ गया
मैं ही तो हूँ
कभी तेरे दिल में
कभी तेरी तड़प में
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