जब हो ही गए तुम्हारे

जब हो ही गए तुम्हारे तो
क्यों सोचे आगे कैसा हो
जिस हाल में रखो तुम साहिब
जो तुम चाहो सब वैसा हो

तेरी बात मुझे मंजूर सभी
तुम क्या चाहो ये तुम जानो
मैं तो खिलौना हूँ खेलो
या नाच नचाओ तुम जानो
अब तेरे रंग ही रँगना है
मुझे रंग चढ़ाओ जैसा हो
जब हो ही .....

बस लब पर नाम ही हो तेरा
दिन हो चाहे रात ही हो
ना छोड़ो साथ कभी मेरा
आंधी चाहे बरसात ही हो
हर पल रहूँ मैं तेरे नशे में
और नशा कोई कैसा हो
जब हो ही.......

मुझे सम्भालो अब तेरी ही हूँ
जैसे चाहो बना के रख लो
कहो तो नज़रें नज़र में आयें
कहो तो नज़रें हटा के रख लो
तेरी पनाह में अब है जीना
जैसे भी रखलो वैसा हो
जब हो ही......

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