तुम हो
तुम हो
हाँ तुम हो
हर कहीँ हो
मुझे नहीं दिखते
मेरी आँखों का दोष
सब देखती हैं
तुम्हें ही नहीं देखती
जबकि तुम ही हो सब
केवल तुम
तो ले लो मेरी ऑंखें
जो तुम्हें नहीं देख रहीं
तुम हो
हमेशा हो
तुम्हारी वो ध्वनि
वो नाद
वो बांसुरी की धुन
है
सदा है
नहीं सुनती
मेरे कानों में
बाक़ी सब सुनता है
बहरा करो मुझे
कुछ नहीं सुनना
केवल तुम्हें सुनना है
तुम हो
हमेशा हो
हर सुगंध में
मुझे क्यों एहसास नहीं
तुम्हारी सुगंध का
जबकि तुम हो
तुम हो
हर स्पर्श में
हर हवा के झोंके में
जो छू जाए
हर बूँद के स्पर्श में
जो गिरी मुझपर
पर क्यों मुझे अनुभूत नहीं
तुम हो
हर रूप में हो
हर वो चीज़ दूर करो मुझसे
जो तुम्हारा एहसास नहीं करवाती
मुझे तुम्हारा एहसास करना है
क्योंकि तुम हो
तुम हो
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