ये दिल की लगी
ये दिल की लगी भी साहिब कितनी अज़ीब है
बैठे हैं दूर हमसे फिर भी कितने करीब हैं
हो गया इश्क़ तुझसे ये भी क्या कम है
अब कोई फ़िक्र नहीं है ना ही कोई गम है
तेरा इश्क़ ही अब बना मेरा नसीब है
ये दिल की लगी........
तेरा इश्क़ देखकर ही मुझे इश्क़ करना आया
ज़िंदा तो थी पहले पर इश्क़ में मरणा आया
ये मोहबतों के किस्से भी साहिब अजीब हैं
ये दिल की लगी........
तू है मेरा इस जहां में बाकी हैं सारे सपने
जब एक तू मेरा हो तो सारे बेगाने अपने
दूर हैं सभी रिश्ते तू ही मेरे करीब है
ये दिल की लगी......
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