देख कदे

छड्ड बन्दया एह उलझे धन्दे
हरि नाम दी लौ लगा
हरि बैठा तेरे ही अंदर
झात मार के तू लभ लया

साहिब दूर नहीं तेरे कोलों
सब नज़रां दे धोखे ने
अंदरों ही बोल पवेगा इक दिन
बाहरों दर्शन ओखे ने

प्रीत लगा ले नाल यार दे
फिर ओह ज्यादा दूर नहीं
होणी तेरी कोई मजबूरी
साहिब ताँ मजबूर नहीं

अंदर ही बैठा है तेरे
अपणे अंदर देख कदे
तू ते ओह कोई अलग नहीं
समझ जरा एह भेद कदे

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