तेरे दर पर
तेरे दर पर आन पड़े हैं कान्हा तेरे दीवाने
एक बार देखो नज़र उठा कर बन जाएँ अफ़साने
तेरे दर पर आन......
नहीं आए अपनी मर्ज़ी से तुमने श्याम बुलाया
मेरा क्या मुझमें है साहिब तेरा दिया सब पाया
मिली हुई सब तेरी रहमतें सब तेरे नज़राने
तेरे दर पर आन........
हो सके मुझसे कोई सेवा ऐसी भी औकात नहीं
छू पाऊँ कभी तेरे चरण भी ऐसे मेरे हाथ नहीं
हाथ रहें सेवा में मेरे लबों पे अब शुक्राने
तेरे दर पर आन.......
मेरी और निहारते रहना अपनी नज़र बना रखना
मैं चाहूँ अब छवि तेरी को मन मन्दिर में सजा रखना
झूठे वादे किये लोभ के मुझको नहीं निभाने
तेरे दर पर आन ........
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