तबाह होने दो

क्यों कर लिया इश्क़ मैंने
दर्द दिल में समा रहा है
बिन मोल बिक गयी हाथ तेरे
दिल क्यों अश्क़ बहा रहा है

क्यों हसरतें ठहरती नहीं हैं
तेरे सिवा कहीँ रूकती नहीं
क्यों बन रहे हो जीने की वजह
नज़रें कहीं और झुकती नहीं

क्यों ज़हन से तुम जाते नहीं हो
इस कदर रूह में समा रहे हो
नज़र में नहीं हो मेरी फिर भी
क्यों हर शै में नज़र आ रहे हो

क्यों होश गुम कर रखे तुमने मेरे
क्यों बेहोशी के आलम में जी रही
तुम्हारे बिन जीना जहर मेरे लिए
फिर भी ये जहर क्यों पी रही

मत सम्भालो मुझे बिखर जाने दो
इस दिल को फनाह होने दो
अगर तुमको मुझसे मिलना नहीं
ज़िन्दगी मेरी तबाह होने दो

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