पनिया भरण

ओ सखी !
पनिया भरन नहीं जाऊँगी
श्याम मारे कंकरिया
नहीं यमुना तट जाऊँगी
हाय मेरी फोड़े गगरिया
पनिया भरन.........

कल की तुमको बात कहूँ
नटखट श्याम करे बरजोरी
बड़ो ढीठ होय ये बांका
मैं बरसाने की गवारिन भोरी
क्यों रोके मेरी डगरिया
ओ सखी !
पनिया भरन........

री सखी ये कानर कारो
नित यमुना तट पर घेरे
बस में रही ना तोसे कहूँ
हाय सखी कुछ भी मेरे
बजावे ऐसो मीठी बाँसुरिया
ओ सखी !
पनिया भरन.......

मैं ना जाऊँ सखी
कभी मधुबन में
कपट भरयो सखी
इस कारे के मन में
फोड़ी माखन भरी मेरो गगरिया
ओ सखी !
पनिया भरन..........

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