कान्हा देखो
कान्हा है न देखो
मुझे लगते
वो नीले आकाश में
बारिश की बूंद बन छूते
फूल बन बन खिलते
हवा बनकर लिपट जाते
वृक्ष की डाली हिले तो लगता बुला रहे कान्हा मुझे
खुशबु आये तो लगे तुम ही तो हो
कभी कुछ बन कभी कुछ
किसी की हंसी में
कभी आंसू में
दर्द में
हाय कभी लगे मुझमें
हर जगह तुम
और कभी लगे
तुम कहाँ हो
न देखी तुमको
कान्हा
बताओ न
तुम नहीं हो क्या
वो तुम न थे
मेरा झूठ था
सब कहे झूठ है
बोलो न प्रियतम
वो तुम ही हो न
बता दो मुझे
वो तुम नहीं तो बोलो
मेरी सांसें क्यों हैं
मेरी धड़कन क्यों है
मुझे किसी से न सुनना
बस तुमको कहना
तुमसे ही सुनना
बोलो कान्हा
सच सच कहना
मुझे पीड़ा न होगी
सच कहना
क्या मुझे जो लगा सब झूठ है
तुम ही बताओ
तुम कहो न
मेरे कान्हा
तुम ही कहो
मुझे किसी न कहना
बस तुमसे
तुम मेरे अपने
तुम ही बस
मेरे कान्हा
मेरे प्रियतम
कह दो मैं झूठी हु
सबको कहना
फिर मेरे प्राण भी ले लेना
मुझे तुम संग ही रहना
कहो न
मौन न रहो
मेरे प्राण तुम्हारी प्रतीक्षा में
मेरे कान्हा
मेरे प्रियतम
कान्हा
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