तड़प

दिल जले क्या छेड़ बैठे तुम अपनी करो मोहन
कहीं जमाना ये न समझ ले हमें तुमसे मोहब्त है

अभी कहाँ सोयेंगें हम अभी रोएं तेरे दीवाने
तुम भी कभी चले आओ मोहना वादा कोई निभाने

खामोश ही रह लें यही अब बेहतर होगा
झूठी मोहब्त की अफवाह बहुत फैला दी मैंने

मत छेड़ो दिल जलों को इक तूफ़ान समेटे हैं
इन अश्कों के पीछे जाने कितने अरमान समेटे हैं

देखो ये कलम मेरी अब करती बगावत है
अश्क़ मेरी आँखों में हैं पर ये करती मोहब्त है

जाने क्या आग सी है अरमान कई जलते हैं
कितना ही दबा लो इनको फिर भी मचलते हैं

सुकून से सो रहे हैं वो इस बात का सुकून है
दिल जलों को भी यहां मोहब्त का जुनून है

ढूँढती है प्यासी नज़र क्यों तेरे निशां
धड़कनें खामोश हैं और सूना है ये जहाँ

तड़पते हैं जो इक नज़र को हाल उनका पूछो
दौलत तो उनके पास है जो महबूब के साथ हों

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