तेरे मेरे इश्क़ की
तेरे मेरे इश्क़ की बस इतनी सी कहानी है
मिलकर भी हम न मिले ये ही बात जानी है
मुझको तेरे इश्क़ की मिली हैं ये सौगातें
जाग जाग काटते हैं हम क्यों रातें
दर्द आहें हैं अमानत और आँखों में पानी हैं
तेरे मेरे इश्क़.....
हूँ खतावार मैं मोहब्तों की हकदार नहीं
दिल में थोड़ा इश्क़ भी मेरी सरकार नहीं
तुमको ही अपनी मोहबत सदा निभानी है
तेरे मेरे इश्क़ .......
लाख ख्वाहिशों में ही गुज़री ज़िन्दगी मेरी
न रही ख्वाहिश कभी तू बने ख्वाहिश मेरी
गुस्ताखियों की आदत मेरी पुरानी है
तेरे मेरे इश्क़ ......
जाने क्यों सुलगते से रहते हैं अरमान कई
तू नहीं है पर दिल में उठते हैं तूफ़ान कई
अश्कों के समंदर में ज़िन्दगी बीत जानी है
तेरे मेरे इश्क़ की बस इतनी सी कहानी है
मिलकर भी हम न मिले ये ही बात जानी है
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