रात सारी
रात सारी अश्कों में भीगते गुज़ार दी मैंने
हाँ तेरे इश्क़ में जिंदगी सँवार ली मैंने
लाख चिलमनों में छिपो तुम मैं देख लूँगी तुम्हें
अपनी नज़रों से सभी चिलमनें उतार ली मैंने
रात सारी......
तेरे इश्क़ ने मुझको मिटना ही तो सिखाया है
मिटकर ही रूह अपनी निखार ली मैंने
रात सारी ......
अब मुझमें मैं ना रहूँ बस तुम ही रहो
चन्द साँसें जो चलेंगीं वो उधार ली मैंने
रात सारी......
दर्द बढ़ जाएगा तो ये ही दवा होगी मेरी
दर्द से भीगी हुई खुशी मेरी सरकार ली मैंने
रात सारी .......
तुम कहते हो जो माँगोगे वो मिलेगा ही तुम्हें
अश्क़ और दर्द की चाहतें बेशुमार ली मैनें
रात सारी अश्कों में भीगते गुज़ार दी मैंने
हाँ तेरे इश्क़ में जिंदगी सवार ली मैंने
गुस्ताखियों पर भी मेरी सरकार मुस्कुराते हैं
नादान हूँ ये गलती भी बार बार करली मैंने
रात सारी अश्कों में भीगते गुज़ार दी मैंने
हाँ तेरे इश्क़ में जिंदगी सवार ली मैंने
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