अबहुँ जन्म न भयो
हरिहौं अबहुँ जन्म न भयौ
व्यर्थ स्वास गमाई बाँवरी अजहुँ नाम न लयौ
जन्म मानुस कौ पाई बाँवरी सो भी व्यर्थ गयौ
कोऊ स्वासा हरिनाम न लीन्हीं काहे स्वास दयौ
हरिहौं कौन चितावे बाँवरी भजन हीन न कछु रह्यौ
साँचो भजन जो बनै बाँवरी तबहुँ रसधार बहयौ
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