विषयन सँग फिरै बाँवरी
विषयन सँग तू फिरै बाँवरी ज्यूँ हाथी रहै कीच
नाम भजन कौ सुधि न लीन्हीं न होय प्रेम कौ सींच
न होय प्रेम कौ सींच भजन बिन नेह बेलि मुरझावै
बाँवरी तू हिय ते अति खोटी भजन चित्त न लावै
झूठो स्वांग धरै भक्त कौ हिय न भजन चटपटी लागी
भोग वासना की तू पुतरी जन्मन भोग न त्यागी
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