हरिहौं बिगड़ी दसा

हरिहौं बिगरी दसा हमारी

भजन छांड जग वीथिन डोलें खावै जगति की गारी

प्रेम रीति कौ नेम न समझें भजन लगै अति भारी

हा हा नाथ तुम्हरे ही सम्भारै बनै बाँवरी जन्म बिगारी

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