अपनी ओर देखत लजाऊँ
हरिहौं अपनी ओर देखत लजाऊँ
मानुस जन्म अकारथ कीन्हीं नाम न हरि कौ गाऊँ
बिसराय रही साँचो धन अपनो बाँवरी मुद्रा जगत कमाउँ
हिय न लगै कबहुँ मिलन चटपटी पापन सौं शरमाउँ
हा हा नाथा गिरी भव सिन्धु बाँवरी कैसो प्राण बचाऊँ
हिय सौं नाम न साँचो निकले क्षण क्षण को अकुलाऊँ
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