कुछ यूं
[22/06, 18:12] श्रीश्रीगौरांग कृपा: तेरे नाम के बिना इस रूह को सुकून कहाँ आता है
फिर भी यह गुस्ताख़ दिल क्यों तुझको भूल जाता है
[22/06, 18:24] श्रीश्रीगौरांग कृपा: यह क्या जाम जो अभी पिया अभी प्यास मेरी है बाक़ी
पीकर जो और बढ़ गयी थोड़ी और पिला दे साकी
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