कैसे कह दें
----------कैसे कह दें------
न सजा सके हम इश्क़ तेरा
कैसे कह दें कि तुमसे इश्क़ हुआ
न दे सके इक का पल सुकून कोई
न ही मुझमें उठा इश्क़ का जुनून कोई
पढ़ते रहे फलसफे न पढ़े इश्क़ का मजमून कोई
कैसे कह दें कि तुमसे है इश्क़ हुआ
न दिल का घर कभी बुहारा मैंने
सच तो है न कभी दिल से पुकारा मैंने
चेहरे पर लगा झूठा चेहरा न उतारा मैंने
कैसे कह दें कि तुमसे है इश्क़ हुआ
तू अगर है मुझमें मेरा होना क्यों है
लब पर हंसी है फिर आँख में रोना क्यों है
दामन अपना इन अश्कों से भिगोना क्यों है
कैसे कह दें कि तुमसे है इश्क़ हुआ
यूँ अपनी नुमाइश कर ली अपनी मोहबत की
सच तो यह है न हुई चाहत कभी चाहत की
झूठी सी दुनिया सजा रखी है बनावट की
कैसे कह दें कि तुमसे है इश्क़ हुआ
तेरा ही इश्क़ देख देख अब खामोश हुई
है नशा इश्क़ तेरे का कि मैं मदहोश हुई
तुमने किया है तभी मैं तेरे आगोश हुई
कैसे कह दें कि तुमसे है इश्क़ हुआ
कैसे कह दें.......
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