हरिहौं हमरो नेह
हरिहौं हमरो नेह न साँचौ
जो हिय होतौ साँचो नेहा बुद्धि न ज्ञान कौ बाँचौ
प्रेम रँग जो हिय उमगतौ कोऊ औरहूँ रँग न राँचौ
तुम्हीं पकरौ नाथा हाथ बाँवरी प्रीति करै सम काँचौं
आपहुँ आय सम्भारौ निज दासी मेरौ कोऊ दौस न जाँचौ
होऊँ बलहीना बाँवरी दासी तिहारी झूठ कहौ या साँचौ
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