यूँ तो न खेलिये

यूँ तो न खेलिये इस दिल से बार बार
खोकर तुम्हें दिल क्यों मेरा रोता है अब जार जार

मिलकर भी मिलते नहीं कैसी है अदा तुम्हारी
नए नए से लगते हो मिलते हो जितनी बार
यूँ तो न .......

माना कि हूँ खिलौना खेलने को तुम्हारे ही
नाजुक सा क्यों बना दिया बोलो मेरी सरकार
यूँ तो न........

क्यों मिलकर भी तुमको तेरी ही प्यास रहती
उतनी ही बढ़ती जाती है पीती हूँ मैं जितनी बार
यूँ तो न .........

नहीं कैद हो सकता दिल जिसमे इश्क़ हो तेरा
धीरे धीरे टूट जाती है मजबूत चाहे हो दीवार
यूँ तो न .........

माना कि नहीं काबिल हम की तुझको इश्क़ कर सकें
पर तेरे बिना कौन है दिल की जो सुनता पुकार
यूँ तो न .........

चलो शिकवा न करेंगे जैसे भी चाहो खेलो
पहले ही रहमतों से तेरी हो रहे हैं हम शर्मसार
यूँ तो न खेलिये इस दिल से बार बार
खोकर तुम्हें क्यों दिल मेरा रोता है अब जार जार

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