श्रीहरिदास

श्रीहरिदास!!!
श्रीहरिदास जो नित्य रटे मन चित्त लाय
श्रीहरिदास कृपा ते हिय प्रेम रस उमगाय
युगल रूप प्रकट कियो श्री निधिवन कुँज
श्रीहरिदास रट री रसना कृपानिधि प्रेम कौ पुँज
कृपा होय अतिशय स्वामीजु श्रीहरिदास उर आय
युगल प्रेम सम्पति सकल वृन्दाविपिन धन पाय

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