हरिहौं हम तो प्रेम विहीना
हरिहौं हम तो प्रेम विहीना
झूठो स्वांग रचै बाँवरी घूमत फिरै सदा भजन हीना
घूमत फिरत भजनहीना हिय चाव प्रेम कौ नाँहिं
मूढ़ अधम जन्म जन्म की फिरत जग वीथिन माँहिं
कौन भाग ते प्रेम हिय आवै नाथा कल्मष कोठरी भारी
भव रोग सौं तप्त बाँवरी कितनो जन्म बिगारी
Comments
Post a Comment