हरिहौं साँची पुकार

हरिहौं साँचो पुकार पुकारूँ
कौन विध छाप छपै उर अन्तर प्रेम नयनन निहारूँ
कौन विध करूँ टहल कोऊ नाथा बिगरौ जन्म सँवारूँ
हा हा नाथा पतित बाँवरी जग वीथिन कबहुँ बिसारुं
कोऊ बल राखै नेम भजन कौ बलहीना गौरा गौर उचारूं
गौरहरि नाम सकल साधन मेरौ सेस साधन सब तज डारूँ

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