हरिहौं तलफत रहूँ
हरिहौं तलफत रहूँ मीन समाना
भव सागर में डूबत जाऊँ आपहुँ करौ निदाना
आपहुँ करौ निदाना हरिहौं बाँवरी मूढ़ बलहीना
साँचो हरि न हिय बैठायो बाँवरी चित्त जगति कौ दीन्हा
चित्त जगति सौं निकसै कोऊ विध हरिहौं अबहुँ अकुलाऊँ
कौन नैनन सौं निरखूँ अन्ध होऊँ कौन सौ जिव्हा सौं गाऊँ
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