हरिहौं हम माया

हरिहौं हम माया कौ कीट
विषय रस अति नीको लागे रहै जन्म कौ ढीठ
रहै जन्म को ढीठ जड़ता विषयन की भारी
कबहुँ न लगी हरिभजन चटपटी स्वासा स्वास बिगारी
स्वासा स्वास बिगारी हरिहौं अबहुँ न देयो कोऊ स्वासा
मूढ़ा बाँवरी बोझ धरती कौ छांड जीवन की आसा

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