जन्म जन्म गए बीत

हरिहौं जन्म जन्म गये बीत
बाँवरी लोभी जगति फिरत रही भूल रही साँची प्रीत
साँचो नाथ न चेते आपनो लोभी जगति की भारी
स्वास स्वास बिरथा बाँवरी कीन्हीं जन्मन जन्म बिगारी
अबहुँ पछतावा न साँचो लाग्यो खोटी हिय ते बहुतेरी
कौन विध सुधरै दसा मूढ़ा कबहुँ हरि नाम नाय टेरी

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