धन्य धन्य कली
धन्य धन्य कलि अति धन्य
प्रकटे प्रेमावतार कृष्णचैतन्य
आप श्रीकृष्णचन्द्र प्रेम अवतार
प्रकटे नाम गौर हरि कौ धार
पात्र कुपात्र न कियो विचार
कृष्ण प्रेम का कियो विस्तार
पाप त्राप बाढ़े कलियुग घोर
प्रकटे करुणामयी प्रेमरस कोर
राधा काँति हृदय राधा धार
कृष्ण प्रेम का बतायो सार
परकीया भाव होय रस गाढ़े
नाम गौरांग लिए हिय बाढ़े
करुणा न हरि हिय समाय
रूप गौराँग धार हरि आय
रे मन गौर गौरांग उच्चार
गौर नाम ही प्रेम कौ सार
गौर रूप में युगल समाय
नाम जपै हिय प्रेम उमगाय
कृष्ण नाम करे अपराध विचार
लेय गौर नाम भीगे रस धार
गोविंद राधा मिलित भ्यै गौर
बाँवरी जपै नाम साँझ भोर
गौर गौरांग नाम सुख राशि
नाम जपै ते अविद्या विनाशी
हा गौरांग देयो निज प्रेम धन
बाँवरी नाम जपै क्षण क्षण
गौर गौरांग एहै जिव्हा उच्चारै
गौरप्रेम पाय झूमे हरि के प्यारै
गौर चरण करै विनय एहै सुनाऊँ
गौर नाम गौरहरि कृपा ते गाऊँ
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