अवगुण की खान

हरिहौं होऊँ अवगुण की खान
कोऊ गुण न नाथा बाँवरी ढोंगी करै बखान
ढोंग रचै भारी निसि बासर किस विध हो कल्यान
भजनहीन फिरै जग माँहिं बाँवरी स्वांग धरै महान
नाम भजन बिन डूबेगी तेरी नैया इक दिन जान
नाम निकारे भव सिन्धु सौं कर मूढ़े हरि रस गान

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून