काहे स्वासा मोल न किन्ही

बाँवरी काहे स्वासा मोल न कीन्हीं
भजन कौ जन्म लियो जगति माँहिं जगति जीवन दीन्हीं
कौन होय तेरौ साँचो धन री बाँवरी न नाम कमाई कीन्हीं
प्रीत लगाई फिरै जगति सौं हरि कौ नाम न लीन्हीं
कौन विध तेरौ होय छुटकारा मूढ़े भजन हीन गति नाँहिं
नेक लजाय लेय करमन सौं पुनः मानुस देह मिलै नाँहिं

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