बुरे हैं भले है तेरे ही

बुरे है भले हैँ जैसे भी हैं
अब तो सनम हम तेरे हैँ

तुम से किया है जब इश्क़
फिर फांसले क्यों घेरे हैँ

बना लो अपना रो रो पुकारें
लगाये गमों ने डेरे हैँ

रोम रोम से आवाज़ आये
बह रहे अश्क़ मेरे हैँ

काली गहरी रातोँ में जिन्दा हूँ
आएंगे कब वो सवेरे हैँ

की सामने मेरे महबूब हो मेरा
आँखों में अब ख्वाब मेरे हैँ

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून