हाय सखी घनश्याम न आये

पल पल जीवन ढलता जाए
हाय सखी घनश्याम न आए

इन अखियन से नींद चुराई
ऐसी मेरी सुध बिसराई
मन नही लगे बिना कन्हाई
कोई तो पैगाम सुनाए
हाय सखी............

जब से तेरी लगन लगाई
जग से हो बैठी हूँ परायी
तेरे दरस की आस लगाई
कभी तो मुझसे नैन मिलाए
हाय सखी............

पल पल जीवन ढलता जाए
हाय सखी..........

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