मेरा चाँद
मैं इस चाँद को क्यों देखूँ
मेरा चाँद जब मेरे पास है
आँखों से चाहे दूर सही
दिल को उसका एहसास है
कब तक दूर होगा मुझसे
मेरे दिल को उसकी आस है
रात पूनम की दूर नही अब
हर और उसका प्रकाश है
चांदी सी चांदनी भी होगी
जो चाँद के हर पल साथ है
खुली आँखों से निहारूँगी
अब सामने खुला आकाश है
Comments
Post a Comment