ध्यान से

एक ही दीख रह्यो
गीता और कुरान में

एक ही सुने अब
बाणी और अज़ान में

होये भी और दीखे ना
अबतो सकल जहान में

वही बैठा मन्दिर में
वही रोये श्मशान में

वही सुनाय सकल रागिनी
तेरो मेरो कान में

वही बरसता दीखे मुझको
बारिश और तूफ़ान में

गर्मी की भी तपिश वही है
मेहनत की थकान में

दीखे किसी की हंसी में
सुने किसी के गान में

नाच रहा किसी के संग
मोर बने बगान में

कोयल बन के मीठा बोले
दिखे तितली की उड़ान में

कभी मछली बने वो जल की
कभी पंछी बने आसमान में

किसी के रूठने में देखूँ अब
किसी के मान अभिमान में

हर जगह बस छुपा हुआ है
देखो उसको ध्यान में

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