तेरे इश्क़ का असर है

सब असर है तेरे इश्क का
अक्ल मेरी का काम नहीं है
तू बसा है नस नस में मेरी
अब तेरे बिन आराम नहीं है

तुझको याद करूं मैं हर पल
बिन तेरे कोई शाम नहीं है
तेरा सरूर ही ऐसा है जालिम
हाथ में मेरे कोई जाम नहीं है

बहार ए चमन से मुझे क्या लेना
तू जो मेरा गुलफाम नहीं है
एक बार तो आकर मिल जा
बीती उम्र तमाम नहीं है

(बावरी मिता)

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून