कब आओगे

क्यों इतनी बेकरारी है
क्यों आग मुझे जलाती है

तुम आओगे कब आओगे
मेरी रूह आवाज़ लगाती है

क्यों चैन मेरा अब खो गया
दिल लगता है तेरा हो गया

क्यों बात न मेरी मान रहा
मेरा होकर अनजान रहा

अब मेरी किसी ये काम नही
मुझे तेरे बिना आराम नही

है इतनी तड़प की मर जाऊं
मैं ही तुझसे मिलने आऊँ

क्यों दिल बेबस हो जाता है
बस तुम्हे आवाज़ लगाता है

तेरे मिलने की क्यों चाहत है
क्या तुझको भी मुझसे मोहबत है

क्यों मेरी बात नही मानो
बस अपनी ही मुझको जानो

मेरी रूह का दर्द अब इतना है
सागर में पानी जितना है

कब इतनी बात बताओगे
कब आओगे कब आओगे

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून