तुम में बस
जब से महसूस हुई मोहबत तेरी
बस झुकती जा रही हूँ
बोलने को लफ्ज़ कम हो रहे
खामोश हुई जा रही हूँ
कैसे सजदा करुँ अब तेरा
तेरी रहमतों से झुकी जा रही हूँ
अब कोई मांग नही तुझसे
तेरी रज़ा में राज़ी होती जा रही हूँ
नज़रो से तुम दूर सही
दिल से महसूस करती जा रही हूँ
तेरी खुशी ही अब मेरी खुशी हो
तेरी खुशी ही चाहती जा रही हूँ
तुम ही रहो अब मैं कहीँ नही
तुम में बस घुलती जा रही हूँ
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