बेचैनी बढ़ती जाती है

बेचैनी बढती जाती है
बस तेरी याद सताती है

दुनिया है कबसे छूट चुकी
वफांए तेरी मुझे लूट चुकी

इक पल भी जीना है मुश्किल
तेरे बिना कहीं लगे ना दिल

सुनती हूं बातें अनकही
याद करके ही आंखे बहीं

क्यों इतनी देर लगाई है
जान पर मेरी बन आई है

मत अरज मेरी ठुकराओ तुम
इक बार तो मिलने आओ तुम

(बावरी मिता)

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