सुकून नहीं

सकून नहीं है मुझे एक पल भी
जा थोडा कहीं से सकून मुझको लादे

सोई नहीं हैं आंखे ये कब से
आ जा प्यार की एक लोरी सुना दे

अश्क बहे हैं ये आंखे ना सूखी
तू इक बार आके थोडा हसा दे

मिट जांऊ मैं तो कोई गम नहीं है
तू ही अगर मेरी हस्ती मिटा दे

कितने पलों में तुझे याद रखा
भूला सके तो यादों से वो पल भूला दे

तडप रही है रूह मेरी कबसे
अब तो मेरी रूह खुद में मिला दे

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