कोई पैगाम
कोई तो पैगाम भेजदे मुझको आने का
इक मौका तो मिल जाए दिल बहलाने का
बेचैनी सी खत्म हो जाए रूह की मेरी
जब एहसास मुझे हो तेरे आने का
नजरें टिकी हुई हैं बस दरवाजे पर
हल्का सा एहसास हो बस खटकाने का
तेरे सिवा अब और भी कुछ मैं चाहूं ना
फिकर नहीं है कुछ भी मुझे जमाने का
रूठ गए तो हम इस बार मना लेंगे
इश्क में अपना मजा है यार मनाने का
मिट जांऊ मैं तुझमें फनाह हो जांऊ
इश्क तो है बस खेल शमा परवाने का
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