सर्वशक्तिमान
जिसकी सत्ता में ही प्रवाहित
हुआ सकल जहान है
उस ईश्वर का भी पूछो
क्या वो शक्तिमान है
कौन भरे है रंग फूल में
कौन जीव में प्राण है
किस्से सूर्य चाँद बने हैँ
रोशन हुआ जहान है
कौन बनाये पेड़ बीज से
वही तो सब विद्यमान है
वही तपे कुछ आग में ऐसे
वही शीतल पवन समान है
वही विरह के आंसू में है
वही अधर मुस्कान है
वही सुने मन्दिर की घण्टी में
वही गीता और कुरान है
कभी प्रेमी बन प्रेम करे वो
कभी आँचल माँ समान है
वही बने नानक की बाणी
वही सुन रहा अजान है
घोर संकट में आन बचाया
द्रुपद सुता का आन है
शबरी के प्रेम में बेर भी खाये
जूठन का नही भान है
जिसके नाम से पत्थर तैरे
सेवक बने हनुमान है
क्यों मन में सन्देह ये आये
की ईश्वर क्या शक्तिमान है
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