तेरी आँखों में डूबकर
तेरी आँखों में डूबकर अब और कहाँ जाएं
पी ली है दो बूँद जब फिर क्यों न बहक जाएं
बढ़ रही है दीवानगी तेरी इन्ही अदाओं से
खुशबू सी आ रही है अब फिज़ाओं से
उठती है लहर प्यार की बढ़ती है और प्यास
न जाने क्यों हो जाती है दिल को मेरे आस
दूर नही हो तुम अब हो कहीँ ही आसपास
धड़कन बढ़ जाती है होती है तेज़ साँस
अब शमा पर मिटने को बेताब है परवाने
महबूब यहाँ एक है और कई है दीवाने
जिसको देख ले एक बार मदहोश कर देता है
शिकवे शिकायते मिटा खामोश कर देता है
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