जला रहा इश्क़ मुझे

जला रहा है इश्क मुझे
जलना मेरी फितरत है
तूझे चाहना बस चाहना
बस यही हसरत है

निकले तो नाम तेरा ही
ऐसी मेरी मुहब्बत है
तुझमें फनाह हो जांऊ
बस इतनी सी चाहत है

तेरा दीदार करें आंखे
यही मेरी इबादत है
तेरे बिन गुजरे इक पल
ऐसी जिंदगी से नफरत है

(बावरी मिता)

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