गुनाह मेरे
गुनाह मेरे इतने बख्शे है यार मेरा
गुनाहों का सौदा मुकम्मल नहीं है
मैं सजदा करूं रात दिन उसको
छिपा है मिलता आजकल नहीं है
खरीदे वो कैसे बेमोल बिक गई मैं
कहदे तू मेरा कातिल नहीं है
हर सांस में महसूस होता है तू
कैसे कहूं तू मुझमें शामिल नहीं है
बेमौत ही मर जाए तुझे देखने से
मैं कश्ती तो मेरा साहिल यही है
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