हरि मेरो मन अबहुँ बहुत नचायो भटकावे मोहे विषयन माँहि नाम न तेरो ध्यायो पुनः पुनः करे नवीन अभिलाषा मोहे बहुत तपायो एको अभिलाषा पूर्ण होवै दूसरी आन सुनायो बनाय दियो मोहे क...
राधा जु मोपे अबहुँ ऐसो ढुरो युगलनाम रूप होयके मेरो जिव्हा नृत्य करो उर अंतर आन बिराजो श्यामाश्याम मैं गाऊँ दासी को अपनी कर लीजौ सेवा को सुख पाऊँ सेवाहीन होऊँ मैं लाडली एह...
जय जय श्यामाश्याम विरहणी तितली 19 पता नहीं क्या क्या देखना लिखा है इस तितली के भाग में। कभी कभी तो अनुभव करती है कि ये विधाता बहुत कठोर है। जाने प्रेम पिपासुओं की क्या क्या प...
सो जा प्यारे नन्द दुलारे तोपे मैं बलिहारी हो प्राणन ते भी प्यारा लागे हँस हँस तोपे वारी हो चन्द्र खिलौना लाय दूँ तोहे नित मेरो लला खेले हो प्रेम डोरी से बाँधू तोहे रे न्यौछ...
जय जय श्यामाश्याम विरहणी तितली 17 तितली दोनों सखियों की वार्ता सुन अश्रु बहाती हुई अश्रुपात करती है तथा गौशाला की और उड़ जाती है। संध्या का समय है सभी गईया बछड़े वन से लौटकर आ च...
जय जय श्यामाश्याम विरहणी तितली 18 मधुमंगल कहता है कान्हा ! आज तू मुझे अपने हाथ से खिला और मैं तुझे खिलाऊँगा। माँ के सन्मुख ऐसा अभिनय करना ही होगा न , उसकी भाव दशा ही कुछ ऐसी है। ...
श्री राधा एक बार एक सखी के मुख से कृष्ण नाम सुनती है तो उसकी दशा विचित्र होने लगी ।कृष्ण ! कृष्ण ! सखी , तुमने सुना ये नाम । ये नाम क्यों मेरे तन मन प्राण को झंकृत करता है। एक बार सु...
जय जय श्यामाश्याम विरहणी तितली 15 श्री प्रिया अपनी भाव अवस्था में सखी को श्यामसुन्दर समझ आलिंगन कर लेती है। कितने ही क्षण यूँ ही बस अपने प्रियतम श्यामसुंदर से मिल बाँ...
जय जय श्यामाश्याम विरहणी तितली 16 तितली उड़कर गौशाला की ओर जा रही, मार्ग में देखती है कहीं से रुदन की ध्वनि आ रही है। उस स्थान की ओर उड़ चली तो देखती है एक गोपी बहुत व्याकुल अवस...
दिल जले क्या छेड़ बैठे तुम अपनी करो मोहन कहीं जमाना ये न समझ ले हमें तुमसे मोहब्त है अभी कहाँ सोयेंगें हम अभी रोएं तेरे दीवाने तुम भी कभी चले आओ मोहना वादा कोई निभाने खामोश ही ...
कैसे हम सुनाएँ दर्द भरे अफसाने मोहना तेरी याद में रोएँ तेरे दीवाने हमसे न इश्क़ होगा मोहना तेरे जैसा तुमको ग़र हो इश्क़ तो आ जाओ निभाने मेरे झूठे से अश्कों पर तुम नहीं जाना तुम ...
बहुत जन्म ते बिछुरै माधो तुम सों प्रीत न लागी लिप्त रहूँ सदा विषयन माँहि नहीं तव चरण अनुरागी भोग लालसा मद मत्सर हे हरि कबहुँ क्षण न त्यागी तुमसों नेह लगाऊँ कैसो मेरो हृदय न...
कुछ ऐसी नज़र करना प्यारे मैं खुद को ही भूल जाऊँ कोई पूछे जो पता कभी मेरा मैं तेरा पता ही फिर बताऊँ तू रहे इस कद्र मुझमें ही मैं खुद को न खोज पाऊँ गर हो मुमकिन ऐसा कभी बस तुझको न क...
कैसे हम सुनाएँ दर्द भरे अफसाने मोहना तेरी याद में रोएँ तेरे दीवाने हमसे न इश्क़ होगा मोहना तेरे जैसा तुमको ग़र हो इश्क़ तो आ जाओ निभाने मेरे झूठे से अश्कों पर तुम नहीं जाना तुम ...
बिरहन रोये आओ रे कन्हाई प्रियतम काहे ना वंशी बजाई ऋतु बसन्ती गूँजे रे कोयलिया पहनूँ न प्रियतम आज पायलिया हर घुंघरू ने तेरी याद दिलाई बिरहन रोये......... साज सिंगार पिया बिन न भाव...