कहाँ रमयो
प्रियाप्रियतम बाँवरी:
कहाँ रमयौ हिय युगल चरणन माँहिं, विषयन सौं भटकत री।
कोऊ प्रेम भजन नहीं जानत, न कबहुँ सेवा मिलत री।
जन्मन सौं सूखे दृग प्यासे, कब लौं क्षण बहत री।
वृथा गमाई जीवन सगरो, कौन सौं मुख सौं कहत री।
धृग धृग जीवन तेरौ बाँवरी, अबहुँ ना नाम टेरत री।
कौन पकरे तेरी डगमग नैया, आपहुँ चाह्वे डूबत री।
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